उपधारणा

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NEW DELHI :भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 में उपधारणा कर सकेगा या उपधारणा करेगा पदों को परिभाषित किया गया है

न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा का तात्पर्य यह है कि न्यायालय या तो तथ्य को साबित मान सकेगा जब तक वह ना साबित ना किया जाता है या ऐसे तथ्य को साबित करने के लिए साक्ष्य की मांग कर सकेगा

न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा करेगा से तात्पर्य है कि न्यायालय ने ऐसे तथ्य को साबित मानेगा जब तक कि वह ना साबित ना कर दिया जाए

उपधारणा कर सकेगा ,मुख्य बिंदु( May presume)

  • कोई तथ्य साबित माना जाएगा जब तक कि उसको ना साबित ना कर दिया जाए
  • किसी तत्व को साबित करने के लिए न्यायालय सबूत मांग सकता है
  • यह खण्डनीय उपधारणा है
  • न्यायालय के स्वविवेक पर आधारित है

-धारा 86, 87, 88, 90, 114, 113-A, etc.

उप धारणा करेगा मुख्य बिंदु (Shall presume)

  • जब किसी तथ्य को साबित समझा जाएगा
  • यह वाले ऐसे तथ्यों को साबित मानेगा जब तक कि वे ना साबित ना कर दिया जाए
  • यह खण्डनीय उपधारणा है न्यायालय के विवेकाधिकार के अंतर्गत नहीं आती है
  • इसमें न्यायालय धारण करने के लिए बाध्य होता है
  • ये धारण करने के लिए आबद्धकर होता है

निश्चायक साबूत (Conclusive prof)

  • ये अखंडनीय उपधारणा है
  • न्यायालय उपधारणा करने के लिये बाध्य होता है

उपधारणा कर सकेगा या उपधारणा करेगा में अंतर स्पष्ट किया गया है

उपधारणा कर सकेगा में न्यायालय को विवेकाधिकार होता है कि वह तथ्य को साबित माने या साबित करने के लिये साबूत की मांग करे |ये उपधारणा तर्क पर आधारित है और सदैव खण्डनीय होती है

जैसे धारा 113क के अंतर्गत यदि किसी स्त्री का विवाह की तारीख से 7 वर्ष के भीतर आत्महत्या कर लेती है और प्रश्न यह है कि उसके पति या उसके पति के नातेदार उसके प्रति क्रूरता की थी तो न्यायालय यह उपधारणा की आत्महत्या उसके पति या उसके नातेदार के द्वारा दुष्प्रेरित की गई थी या साक्ष्य की मांग कर सकेगा

न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा करेगा में न्यायालय उपधारणा करने के लिये बाध्य होता है ये उपधारणा सदैव आबद्धकर होती है या खण्डनीये और अखंडनीय भी हो सकती है यह उपधारणा विधि पर आधारित होती है

उदाहरण के लिए किसी स्त्री की मृत्यु विवाह के 7 वर्ष के भीतर दहेज की मांग के संबंध में क्रूरता के कारण या तंग करने के कारण हुई हो और ऐसा आचरण उसके पति या उसके नातेदार द्वारा किया गया हो ऐसा व्यवहार उसकी मृत्यु के पूर्व या गया था तो न्यायालय यह उपधारणा करने के लिए बाध्य है कि उस स्त्री की मृत्यु दहेज मृत्यु है और जिस व्यक्ति और व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी उपधारणा के साक्ष्य के द्वारा खंडन कर सकता है