एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बिना शर्त माफ़ी माँगने से किया इनकार
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है. एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं|
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई टाल दी थी | सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण को अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन का समय भी दिया था|
इसके साथ ही एडवोकेट प्रशांत भूषण ने अपने विवादित ट्वीट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया है उन्होंने अवमानना मामले में जवाब दाखिल किया था सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपना फैसला सुरक्षित रख चुका है | सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आज तक का मौका दिया था कि वो बिना शर्त माफ़ी मांग लें |
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा, ‘मेरे ट्वीट्स सद्भावनापूर्वक विश्वास के तहत थे,जिस पर मैं आगे भी कायम रहना चाहता हूं|इन मान्यताओं पर अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी उन्होंने कहा, ‘मैंने पूरे सत्य और विवरण के साथ सद्भावना में इन बयानों को दिया है जो कोर्ट द्वारा निपटे नहीं गए हैं अगर मैं इस कोर्ट के समक्ष बयान से मुकर जाऊं, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूं, तो मेरी नजर में मेरे अंतकरण की अवमानना होगी और मैं उस संस्थान की जिसका मैं सर्वोच्च सम्मान करता हूं|
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा, ‘मेरे मन में संस्थान के लिए सर्वोच्च सम्मान है |मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी विशेष मुख्य न्यायाधीश को बदनाम करने के लिए नहीं, बल्कि रचनात्मक आलोचना की पेशकश करने के लिए ये किया था जो मेरा कर्तव्य है|मेरी टिप्पणी रचनात्मक है और संविधान के संरक्षक और लोगों के अधिकारों के संरक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालिक भूमिका से SC को भटकने से रोकने के लिए हैं|
प्रशांत भूषण को न्यायपालिका और CJI के खिलाफ अपने दो ट्वीट्स के लिए अदालत की अवमानना का दोषी (guilty of contempt) पाया गया था उन्होंने चीफ जस्टिस बोबडे के ऊपर टिप्पणी की थी |