क्या हैं क़ानून में गिरफ़्तारी से संबंधित उपबंध

क्या हैं क़ानून में गिरफ़्तारी से संबंधित उपबंध

IQBAL
क्या हैं क़ानून में गिरफ्तारी से सम्बंधित उपबंध दण्ड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 5 में इन्हीं सवालों का ज़वाब दिया गया है दंड प्रक्रिया संहिता अध्याय 5 व्यक्तियों की गिरफ़्तारी से सम्बंधित है आपराधिक विधि में गिरफ़्तारी पीड़ित पक्षकार को न्याय देने के लिए आवश्यक है। पुलिस अधिकारी और मजिस्ट्रेट को आपराधिक विधि में गिरफ्तार करने संबंधी शक्तियां दी गई हैं कुछ उपबंध प्राइवेट व्यक्ति को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देते हैं गिरफ़्तारी दो तरह से की जाती है वारंट द्वारा या वारंट के बिना गिरफ्तार करने वाला व्यक्ति गिरफ्तार किये जाने व्यक्ति के शरीर को छुएगा या उसकी हरकत को रोकेगा जैसे हथगड़ी लगाना रस्सी बांधना या किसी स्थान में बंद कर देना |

कब गिरफ्तारी की जा सकती है?

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के उन परिस्थितियों का वर्णन है कि गिरफ्तारी किस समय की जा सकती है। इस धारा के अंतर्गत किसी पुलिस अधिकारी को बिना वारंट के गिरफ्तार करने से संबंधित अधिकार दिए गए हैं। यह धारा के अंतर्गत पुलिस अधिकारी के बिना किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सकता है।

ऐसी गिरफ़्तारी निम्न व्यक्तियों की, की जा सकती है –

1) जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है तो पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।

2) पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर सकता है जिसके विरुद्ध कोई परिवाद मिला है और विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी मिली है उस व्यक्ति द्वारा कोई ऐसा अपराध कारित किए जाने की जानकारी है जिस अपराध में 7 वर्ष या 7वर्ष से कम का कारावास दण्डनीय है जो चाहे जुर्माना सहित हो या रहित यदि ये समाधान कर दिया जाता है

* ऐसे परिवाद सूचना अथवा संदेह के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उसने ऐसा अपराध किया है,

*यदि पुलिस अधिकारी को ऐसा विश्वास है कि ऐसी गिरफ्तारी निम्न कारणों से आवश्यक है –

ऐसा व्यक्ति कोई और अपराध नहीं कर पाए, उसको रोकने हेतु, ii)अपराध के उचित अन्वेषण के लिये, iii)ऐसे व्यक्ति कोई अपराध के साक्ष्य मिटाने या उससे छेड़ छाड़ से रोकने के लिये iv) धमकी देने वचन देने से रोकने के लिये, तो पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।

धारा 44 मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित है –

i)कार्यपालक या न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में कोई अपराध किया जा रहा हो,

ii)अपराध उसकी अधिकारिता के भीतर किया जा रहा हो

iii)वह मजिस्ट्रेट अपराधी को स्वयं गिरफ्तार कर सकता है या आदेश दे सकता है|

प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी

कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में धारा 43 प्राइवेट व्यक्ति को गिरफ्तारी करने का अधिकार देती है i दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में केवल मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के अलावा प्राइवेट व्यक्ति को भी गिरफ्तार करने संबंधी शक्तियां दी गई हैं अपितु मजिस्ट्रेट और पुलिस से अलग हटकर कोई अन्य व्यक्ति भी गिरफ्तारी कर सकता है। ऐसी गिरफ्तारी को प्राथमिक व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी कहा जाता है

धारा 43 में वर्णित उपबंधों के अनुसार कोई भी व्यक्ति अर्थात जो ना तो मजिस्ट्रेट है और ना ही पुलिस अधिकारी है किसी ऐसे व्यक्ति को जो उसकी उपस्थिति में संज्ञेय और अजमानतीय अपराध करता है, को गिरफ्तार कर सकता है और ऐसे गिरफ्तारी के पश्चात ऐसे व्यक्ति को पुलिस थाने के भार दंडक अधिकारी के समक्ष पेश करना होगा|एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की मदद से अपराध करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करवा सकता है यदि घटनास्थल पर पुलिस का पहुचना संभव नहीं है|