तथ्य की भूल क्षम्य है विधि की भूल क्षम्य नहीं है
IQBAL
NEWDELHI :-विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य कोई बात अपराध नहीं है जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या तथ्य की भूल के कारण ना कि विधि की भूल के कारण सद्भाव पूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है
76. Act done by a person bound, or by mistake of fact believing himself bound, by law.—Nothing is an offence which is done by a person who is, or who by reason of a mistake of fact and not by reason of a mistake of law in good faith believes himself to be, bound by law to do it. Illustrations
धारा 76 की आवश्यक शर्तें :-
- एक व्यक्ति द्वारा किया गया कोई कार्य जिसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है
- एक व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य जिसे करने के लिए विधि द्वारा अपने आप को बाध्य समझता है
- यह विश्वास तथ्य की भूल के कारण होना चाहिए ना कि विधि के भूल के कारण उसने
कार्य सदभावना पूर्वक विश्वास किया - तथ्य की भूल क्षम्य है विधि की भूल क्षम्य नहीं है
Case law
आर बनाम प्रिन्स 1875 PC (जस्टिस बलेकबर्न )मुख्य दुराशय पर आधारित है
आर बनाम टालसन 1899 Q.B ( जस्टिस केन व सरगेज स्टीफ़न ) न्यायमूर्ति केन यह कहा कि इमानदारी से हुई एवं युक्तियुक्त भूल उसी धरातल पर खड़ी है जिस पर तार्किक शक्ति का अभाव जैसे शिशु में तार्किक शक्ति का विकृत रूप जैसे पागलपन में है
इसी मामले में न्यायमूर्ति ने यह सामान्य नियम प्रतिपादित किया कि कथित अपराधी को तथ्य की उस स्थिति के अंतर्गत कार्य किया हुआ मानना चाहिए जिसे उसने सद्भावना पूर्वक या युक्तियुक्त आधारों पर उस समय अस्तित्ववान समझा जिस समय उसने यह आरोपित कार्य किया जो अपराध गठित करता है
वरयाम सिंह (1926) इस मामले में A ने सदभावपूर्वक b को एक मनुष्य को प्रेत समझा और उसे घातक चोट पहुंचाई इस मामले में A को भूल के कारण धारा 76 का बचाव प्राप्त होता है अर्थात उसने कोई अपराध कार्य कारित नहीं किया