दुष्प्रेरण व अपराधिक षड्यंत्र में अंतर
New Delhi :- न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 2 एडवोकेट हिमानी शर्मा ,जुडीशल अस्पिरेट्स के द्वारा लिखा हुआ का उत्तर पढ़ें और कमेंट करें
दुष्प्रेरण व अपराधिक षड्यंत्र में अंतर स्पष्ट कीजिए [Difference between Abetment and Criminal conspiracy. ] [(300 word) 10 Marks.]
:-भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 5 में दुष्प्रेरण व अध्याय 5-क में आपराधिक षड्यंत्र के बारे में बताया गया है
भारतीय दंड संहिता 1860 धारा 107 के अनुसार,
दुष्प्रेरण – वह व्यक्ति किसी बात के लिए जाने का दुष्प्रेरण करता है जो उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है किसी षड्यंत्र में एक या अधिक व्यक्तियों के साथ किसी योजना में शामिल होता है और उसके अनुसरण में कोई कार्य करता है या कोई अवैध लोप करता है , साशय सहायता करता है
दुष्प्रेरण
1. उकसाना -सलाह, सुझाव,निर्देश
2. षड़यंत्र -अनुसरण में कार्य द्वारा
3. सहायता कार्य /अवैध लोप
भारतीय दंड संहिता 1860 अपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा
⇒दो या अधिक व्यक्ति
⇒कोई अवैध कार्य या
⇒कोई ऐसा कार्य जो अवैध नहीं है
⇒अवैध साधनों द्वारा करने को सहमत होते हैं तब ऐसी सहमति आपराधिक षड्यंत्र कहलाती है परंतु कोई भी सहमति (किसी अपराध को करने की सहमति के सिवाय )अपराधिक षड्यंत्र तब तक नहीं होगी जब तक कोई कार्य उसके अनुसरण में सहमति के एक या अधिक पक्षों द्वारा नहीं कर दिया जाता है
•दुष्प्रेरण व आपराधिक षड्यंत्र में अंतर
दुष्प्रेरण व आपराधिक षड्यंत्र में निम्नलिखित अंतर हैं
•आपराधिक षड्यंत्र दुष्प्रेरण का एक रूप है जबकि दुष्प्रेरण का अपराध धारा 107 में उल्लिखित तरीकों उकसाना, षड्यंत्र द्वारा,या सहायता द्वारा होता है अपराधिक षड्यंत्र उनमें से एक है
•अपराधिक षड्यंत्र का अपराध किसी कार्य में करने मात्र से निर्मित हो जाता है जबकि दुष्प्रेरण में करार मात्र अपराध गठित नहीं करता जब तक ऐसा करार के अनुसरण में कोई कार्य / लोप कर दिया गया है
•धारा 107 के अंतर्गत किसी षड्यंत्र के लिए केवल सहमति काफी नहीं है(1) कोई कार्य या अवैध लोप षड्यंत्र के अनुसरण में होना चाहिए (2)षड्यंत्र वस्तु को संपादित करने के उद्देश्य से होना चाहिए
•धारा 120 का अपराधिक षड्यंत्र के अंतर्गत सहमति पर्याप्त है यदि वह किसी अपराध को करने के उद्देश्य से है जबकि अपराधिक षड्यंत्र के अंतर्गत सहमति पर्याप्त है आपराधिक षड़यंत्र धारा 107 के अंतर्गत दुष्प्रेरण के समतुल्य है वहां धारा 120 क /120ख के उपबंधों की सहायता लेना आवश्यक है क्योंकि संहिता में ऐसे षड्यंन्त्रों को दंडित करने के लिए विशिष्ट उपबंध बनाए गए हैं
•षड्यंत्र के माध्यम से दुष्प्रेरण के संबंध में धारा 108 से 117 तक दुष्प्रेरण विभिन्न परिस्थितियों के अंतर्गत दंडनीय होता है जबकि धारा 120 क आपराधिक षड़यंत्र का अपराधी धारा 120 ख के अंतर्गत दंडनीय है
•दुष्प्रेरण स्वंम में मौलिक अपराध नहीं है जबकि अपराधिक षड्यंत्र अपने आप में एक मौलिक अपराध है व दण्डनीय हैं