रेस जेस्ट का सिद्धांत
रेस जेस्टे का सिद्धांत
IQBAL
NEW DELHI:- साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 6 आंग्ल विधि के उस सिद्धांत पर आधारित है जिससे रेस जेस्टे का सिद्धांत कहा जाता है इस धारा के अलावा इस शब्द का प्रयोग साक्ष्य अधिनियम में कहीं नहीं किया गया है परंतु इस सिद्धांत की व्याख्या अन्य धाराओं में देखने को मिलती है
रेस जेस्टे – रेस जेस्टे लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है जो काम किया गया है तथा अंग्रेजी सूत्र का अर्थ होता है “एक ही संव्हवहार के क्रम में कहे गए कथन एवं किए गए कार्य”
यहाँ संव्हवहार का अर्थ इन सब बातों से है जो एक दूसरे से संबंध रखती हों तथा जो अपराध को करने के समय या उससे पहले यह उसके पश्चात हुई हों लेकिन असली अपराध से संबंध रखती हो जैसे (ख) को पीट कर उसकी हत्या करने का (क) अभियुक्त है (क) या (ख)पास खड़े लोगों द्वारा जो कुछ भी पिटाई के समय पहले या पश्चात कहा गया, किया गया वह उसी संव्हवहार का भाग बन जाता है
जब कोई संव्हवहार जैसे कि कोई संविदा या अपराध विवाद्यक तथ्य हो तो प्रत्येक ऐसे तथ्य का साक्ष्य दिया जा सकता है जो उसी संव्हवहार का भाग है
जहां तक संव्हवहार के साथ होने वाले कार्य या लोप का प्रश्न है कोई विशेष कठनाई पैदा नहीं होती है संव्हवहार की प्रकृति यह स्पष्ट कर देती है कि उसके आवश्यक अंग क्या है मान लीजिए कि भारत सरकार को बल द्वारा बदल देने का षड्यंत्र है इस प्रयोजन के लिए कोलकाता में पैसा जमा किया जाता है मद्रास में यंत्र और मुंबई में ट्रेनिंग दी जाती है यह सब कार्य चाहे एक दूसरे के समय और स्थान में दूर-दूर हैं फिर भी एक ही समय बाद का भाग है
इस सिद्धांत को लागू करते हुए न्यायालय को बहुत सावधानी से काम लेना चाहिए सावधानी इसलिए आवश्यक है कि झूठी कथन बनाने में कोई देरी नहीं लगती है इसीलिए यह सिद्धांत है कि कथन घटना के सिर्फ ने पूर्व या पाश्चात्य या उसके साथ हुआ कि उसके पास सोचने के लिए समय ना बचाओ और ना ही झूठी कहानी गढ़ने का समय रहा हो
6. Relevancy of facts forming part of same transaction.—Facts which, though not in issue, are so connected with a fact in issue as to form part of the same transaction, are relevant, whether they occurred at the same time and place or at different times and places. Illustrations
रेस जेस्टे सिद्धांत से संबंधित वाद
रतन बनाम क़्वीन 1971
इस वाद में अपनी पत्नी की हत्या के आरोपी का यह कथन था कि गोली दुर्घटना वश चली थी साक्ष्य यह था कि मृतक पत्नी ने टेलीफोन मिलाया और ऑपरेटर से कहा कि मुझे पुलिस दीजिए ऑपरेटर अभी कुछ भी नहीं कर आया था कि उसने अपना पता बोल दिया और बात खत्म हो गई ऑपरेटर की सूचना पर पुलिस वहां जाकर स्त्री का शव बरामद किया निर्णय किया गया कि टेलीफोन करना एवं पुलिस मांगना हत्या के संव्हवहार का भाग होने के कारण सुसंगत है
आर. बनाम फॉस्टर 1834
इस वाद में अभियुक्त पर यह आरोप था कि उसने एक व्यक्ति के ऊपर अपनी गाड़ी चढ़ाकर उसकी हत्या कर दी थी साक्षी ने बताया कि उसने गाड़ी के बहुत तेज रफ्तार से दौड़ते हुए देखा था परंतु दुर्घटना नहीं देखी थी जैसे ही उसने घायल व्यक्ति के करहाने की आवाज सुनी वे दौड़कर उसके पास पहुंचता है तब मृतक ने उसे दुर्घटना के विषय में बताता है न्यायालय अभिनिर्धारित किया कि घटना के विषय में मृतक ने जो भी बताया वह धारा 6 के अधीन सुसंगत है
उपरोक्त से स्पष्ट है कि यदि किसी अभियुक्त के द्वारा अपराध किया गया है तब अपराध से संबंध रखने वाले तथ्यों को साक्ष्य में शामिल किया जाना है जो संव्हवहार का भाग माने जाते हैं और साक्ष्य में सुसंगत हैं