चोरी (theft)करने के आशय से – एडवोकेट हिमानी शर्मा
New Delhi :- न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 5 एडवोकेट हिमानी शर्मा ,बागपत (यू.पी.)जुडीशल सर्विस अस्पिरेट्स के द्वारा लिखा हुआ प्रश्न 2. का उत्तर पढ़ें और कमेंट करें
प्रश्न.2. चोरी (theft) करने के आशय से ‘क’ रात के समय एक मकान में प्रवेश करता है और एक कमरे में से एक भारी संदूक निकालकर आंगन में ले आता है, जहां वह उसे खोलता है लेकिन वह उस संदूक में ऐसी कोई चीज नहीं पाता जो ले जाने योग्य हो और वह संदूक को वहीं छोड़ कर चला जाता है । क्या ‘क’ ने कोई अपराध किया यदि हां तो कौन सा?
उत्तर – उपरोक्त समस्या भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 17 जो कि संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में हैं से ली गई है- जो कि इस प्रकार है :-चोरी करने के आशय से ‘क’ रात के समय एक मकान में प्रवेश करता है और एक कमरे में से एक वजनदार संदूक निकालकर आंगन में ले आता है जहां उसे वह खोलता है खोलने के बाद वह उस संदूक में ऐसी कोई चीज नहीं पाता जो ले जाने योग्य हो और वह संदूक को वहीं छोड़कर चला जाता है ।
इस समस्या में ‘क’ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा – 442 के अधीन ‘ग्रहअतिचार’ तथा धारा 378 में वर्णित ‘चोरी’ के अपराध का प्रयत्न करने का दोषी होगा।
चूंकि, उपरोक्त समस्या में दिए गए तथ्यों से स्पष्ट है-
1. जैसे ही ‘क’ ने रात के समय उस मकान में प्रवेश किया वह धारा- 442 में आने वाले ‘ग्रह अतिचार ‘के अपराध का दोषी हो गया ।
उसके द्वारा मकान में प्रवेश ग्रह अतिचार के अपराध की आवश्यक शर्तें पूरी करता है ।
धारा 442 के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति किसी भवन या निर्माण में प्रवेश करके या उसने बना रहकर आपराधिक अतिचार करता है ,वह ग्रह अतिचार का दोषी होगा।
2. चूंकि ‘क’ का आशय चोरी करने का था और उसका संदूक को कमरे से बाहर निकाल कर लाना ,उसको खोल कर देखना ,उसे ऐसी कोई चीज (वस्तु )संदूक में नहीं मिली जो ‘ले जाने’ के योग्य हो जबकि उसका ले जाने का पूरा आश्य था ।
जो कि धारा- 378 में दिए गए चोरी के अपराध की आवश्यक शर्तें पूरी करता है अतः ‘क’ चोरी के अपराध का भी दोषी होगा ।
धारा 378 के अनुसार- जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे में से ,उस व्यक्ति की सहमति के बिना,कोई जंगम संपत्ति ले लेने का आशय रखते हुए ,वह संपत्ति ऐसे लेने के लिए हटाता है,वह चोरी करता है ऐसा कहा जाता है ।
अतः उपरोक्त समस्या में प्रस्तुत तथ्यों से स्पष्ट है कि ‘क’ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा- 442 में उल्लेखित ‘ग्रह अतिचार ‘ एवं धारा- 378 में वर्णित ‘चोरी ‘के अपराध का प्रयत्न करने का दोषी होगा ।