: उपरोक्त समस्या दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 215 के दृष्टांत (ड़) पर आधारित है उपरोक्त समस्या इस प्रकार है
राहुल नाम के एक व्यक्ति पर दो व्यक्तियों राम और श्याम की हत्या का आरोप लगाया गया
एक हत्या 20 जनवरी 2021 को श्याम की तथा दूसरी 21 जनवरी 2021 को राम की गई थी
दोनों का विचारण एक साथ चलता है जब न्यायालय द्वारा वह श्याम की हत्या के लिए आरोपित हुआ तो विचारण राम की हत्या का किया गया
अभियुक्त ने प्रतिरक्षा बचाव में श्याम की हत्या के मामले के साक्षियों को प्रस्तुत किया
राहुल को न्यायालय द्वारा सिद्धदोष किया जाता है
आरोप में गलती के आधार पर वे दोष सिद्धि को चुनौती देता है दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 215 जो कि आरोप में रह गई गलतियों अथवा लोप के प्रभाव के बारे में प्रावधान करती है
धारा 215 गलतियों का प्रभाव धारा 215 उपबंधित प्रावधानों के अनुसार
यदि आरोप में ऐसी किसी विशिष्ट का उल्लेख किया जाना रह जाता है
जिसको आरोप में दिया जाना आवश्यक था या विचारण के कथन में कोई गलती रह गई है या किसी बात का लोप हो गया है तो वे तब तक सारभूत नहीं माना जाएगा
जब तक कि उसे अभियुक्त भ्र्म में नहीं पड़ गया हो और उससे उसको सही न्याय नहीं मिल पाया हो
सुसंगत तथ्यों से संबंधित विवरण को आरोप में नहीं देना तब तक आरोप को अविधिमान्य नहीं बना देता
जब तक कि उसका अभियुक्त के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा हो
उपरोक्त समस्या में न्यायालय द्वारा इस गलती को सारभूत माना जाएगा क्योंकि इसमें अभी भुलावे में पड़ गया था