CRIMINAL CONSPIRACY अपराधिक षड्यंत्र धारा 120 क
NEW DELHI :– भारतीय दंड संहिता को 1860 में निर्मित किया गया था भारतीय दंड संहिता में दुष्प्रेरण का अध्याय शामिल था परंतु यह अध्याय अपने आप में षड्यंत्र रचने वालों को दंड देने में अपर्याप्त माना गया इसलिए एक लंबे समय के बाद 1913 में भारतीय दंड संहिता संशोधन अधिनियम संख्या 8 की धारा 3 द्वारा दंड संहिता के अध्याय 5 के आगे एक नवीन अध्याय 5 (क) को जोड़ा गया इस अध्याय के आधार पर अपराधिक षड्यंत्र से संबंधित विषय को शामिल किया गया
अध्याय 5 (क) में दो धाराओं को शामिल किया गया है धारा 120 (क) अपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा एवं धारा 120 (ख) अपराधिक षड्यंत्र के दंड का प्रावधान करती है
दुष्प्रेरण एवं अपराधिक षड्यंत्र को अपूर्ण अपराध माना जाता है दुष्प्रेरण एवं अपराधिक षड्यंत्र का अपराध उस कार्य अपराध को किए जाने के पूर्व की स्थिति को दर्शाता
है
आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा धारा 120 (क) जब दो या दो से अधिक व्यक्ति द्वारा किसी अवैध कृत्य अथवा किसी ऐसे कृत्य को जो अवैध नहीं है लेकिन अवैध साधनों द्वारा करने या करवाने के लिए सहमत होते हैं तो उसे अपराधिक षड्यंत्र कहा जाता है
यदि कोई का दे दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा अवैध कार्य किया जाता है परंतु वे अपराध नहीं है और ऐसा कार्य करने की सहमति बनती है तो ऐसे कार्य को भी अपराधिक षड्यंत्र माना जाएगा
आपराधिक षड़यंत्र में कार्य प्रकट होना जरूरी माना जाता है
अपराधिक षड्यंत्र धारा 120 (क) के आवश्यक तत्व
- दो या दो से अधिक व्यक्ति
- व्यक्तियों के मध्य समझौता या सहमति होना
- अवैध कार्य को करने या वैध कार्य अवैध साधनों से करने की सहमति
- सहमति हो जाने पर उसके अनुसरण में कार्य किया जाना
या कार्य का प्रकट होना
सामान्यता अपराधिक षड्यंत्र का प्रत्यक्ष सबूत उपलब्ध नहीं हो पाता है इस वजह से ऐसे अपराधी कार्यों में किसी व्यक्ति की भागीदारी उसकी सहमति का साक्ष्य जुटाने में सहायक साबित होती है
हीरालाल हरिलाल भगवती बनाम सीबीआई नई दिल्ली 2003 सी आर ए जे 3041 सी.ए. ओ.
इस मामले को निर्णीत करते समय उच्चतम न्यायालय ने अपराधिक षड्यंत्र के अपराध को दंड की परिधि में लाने के लिए यह साबित करना आवश्यक है कि पक्षकारों के बीच अवैध कार्य करने का करार हुआ था
तमिलनाडु राज्य बनाम नालनी 1999 Cr.LJ.24 सुप्रीम कोर्ट राजीव गांधी हत्या मामला
आपराधिक षड़यंत्र की धारा 120 (ख) एवं धारा 302 के अधीन दोषी साबित किया
अपराधिक षड्यंत्र के लिए दंड का प्रावधान धारा 120 (ख),
अपराध 2 वर्ष से अधिक है यदि अपराध के षड्यंत्र के लिए दंड का है तब अपराध के दुष्प्रेरण के लिए दंडनीय होगा
जो अपराध दो या 2 वर्ष से अधिक कारावास दण्डनीये नहीं हैं वे 6 माह की अवधि के कारावास से अधिक अवधि के लिए दंडित नहीं किया जाएगा,
कारावास या जुर्माना या दोनों से भी दंडित किया जा सकता है
राहुल और रमेश दोनों मिलकर रोहित की हत्या करने का षड्यंत्र रचते हैं यदि वे ऐसा करते हैं तो प्रथम खंड के अधीन दोषी होंगे परंतु दोनों मिलकर केवल क्षति पहुंचाने के लिए षड्यंत्र रचते हैं तो द्वितीय खंड के अधीन जिसकी अवधि 6 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाएंगे
अपराधिक षड्यंत्र एवं दुष्प्रेरण में अंतर
- अपराधिक षड्यंत्र को धारा 120 (क), जबकि दुष्प्रेरण को धारा 107 में परिभाषित किया गया है
- अपराधिक षड्यंत्र एक प्रकार से एक प्रकार का होता है, जबकि दुष्प्रेरण उकसाने सहायता करने षड्यंत्र करने से होता है
- अपराधिक षड्यंत्र में सहमति होती है, जबकि दुष्प्रेरण में सहमति आवश्यक नहीं होती है