हत्या(Murder) एवं आपराधिक मानव वध (Culpable homicide) में अंतर

न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 3 एडवोकेट हिमानी शर्मा ,जुडीशल अस्पिरेट्स के द्वारा लिखा हुआ का उत्तर पढ़ें और कमेंट करें

प्रश्न.2. हत्या  (Murder)एवं आपराधिक मानव वध (Culpable homicide) में अंतर बताइए।[Differentiate between murder and culpable homicide. ](300 शब्द)

उत्तर. हत्या एवं अपराधिक मानव वध में अंतर- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 299 में आपराधिक मानव वध (Culpable homicide)एवं धारा 300 में हत्या के बारे में प्रावधान है

आर बनाम गोविंदा I.L.R 1876 बंबई 382
इस वाद में मेलिबल जज के द्वारा धारा 299 और 300 में अंतर स्पष्ट किया गया।

इस मामले में अभियुक्त ने धक्का देकर अपनी पत्नी को जमीन पर गिरा दिया। फिर उसके सीने पर घुटना रखकर चेहरे पर दो-तीन वार किए, जिससे उसके दिमाग से खून बहने लगा और कुछ देर बाद वह मर गई।
इस मामले में अभियुक्त का आशय न तो अपनी पत्नी की मृत्यु करना था ना ही उसके द्वारा पहुंचाई गई शारीरिक क्षति इतनी पर्याप्त थी कि प्रकृति के सामान्य अनुक्रम में उससे उसकी मृत्यु हो सकती थी। अभियुक्त को हत्या की कोटि में ना आने वाले अपराधिक मानव वध के लिए दंडित किया गया।

धारा 299 आपराधिक मानव वध एंव धारा 300 हत्या में अंतर-

(1). कुछ अपवादों को छोड़कर अपराधिक मानव वध हत्या होती है,
यदि अपराधिक मानव वध धारा 300 में वर्णित किसी भी एक अपवाद की सीमा के अंतर्गत आता है , तो वह हत्या नहीं होगा।

(2). जब कभी भी अपराधी का आशय मृत्यु कारित करना होता है तो वह हमेशा हत्या का मामला होगा , जब तक कि अपराध धारा 300 में दिए गए किसी एक अपवाद के अंतर्गत नही आता है ।

(3).धारा 299 खंड (ख) तथा धारा300खंड(2) के बीच अंतर अपराधी के ज्ञान पर आधारित है कि जिस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है उसकी मृत्यु होना संभव है । अपराधी अगर यह जानता है कि क्षतिग्रस्त व्यक्ति की किसी भी तरह से मृत्यु होने की संभावना है जिससे कि साधारण मृत्यु कारित नहीं होती, तो अपराध हत्या की कोटि में आएगा।

(4). ऐसे मामलों में आपराधिकता कि मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या अभियुक्त को इन तथ्यों के बारे में जानकारी थी,
धारा 299 खंड ( ख) के अंतर्गत ऐसा ज्ञान अपेक्षित नहीं है।

(5). इसी तरह से धारा 299 खंड (ख) व 300 खंड (3) की तुलना करने पर यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि किया गया अपराध अपराधिक मानव वध होगा, और शारीरिक चोटें ऐसी है जिससे की मृत्यु होने की संभावना है।
यह तब हत्या होगा जब शारीरिक चोट पहुंचने से प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु करने के लिए पर्याप्त है।

(6) कोई अपराध अपराधिक मानव वध है या हत्या , मानव जीवन के लिए उत्पन्न संकट पर निर्भर करता है । यदि मृत्यु होने की संभावना है तो अपराध अपराधिक मानव वध होगा और यदि मृत्यु की अत्याधिक संभावना है तो हत्या है ।

निष्कर्ष- सभी हत्याएं अपराधिक मानव वध होती हैं, किंतु सभी आपराधिक मानव वध हत्या की श्रेणी में नहीं आते।