न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 1 प्रश्न 2. एडवोकेट हिमानी शर्मा
न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 1 एडवोकेट हिमानी शर्मा ,जुडीशल अस्पिरेट्स के द्वारा लिखा हुआ प्रश्न 2. का उत्तर पढ़ें और कमेंट करें
प्रश्न 2. ‘प’ इस आशय से और यह संभव यह जानते हुए कि वह क की फसल को नुकसान कारित करें, ‘क’ के खेत में मवेशियों का प्रवेश कारित कर देता है ‘प’ ने कौन सा अपराध किया है विवेचना कीजिए?[‘P’ causes cattle to enter upon a field blogging to you are intending to cause and knowing that he is likely to cause damage to the crop of ‘Q’. what offence has been committed by ‘P’? Discuss.] [(300 शब्द ) 10 मार्क्स]
उपरोक्त समस्या भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 425 के दृष्टांत (ज) से ली गई है
- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 425 के दृष्टांत (ज)के अनुसार, प इस आशय से और यह संभाव्य यह जानते हुए कि वह क की फसल को नुकसान कारित करें, क के खेत में मवेशियों का प्रवेश कारित कर देता है
प रिष्टि का अपराध किया है भारतीय दंड संहिता की धारा 425 के अधीन आरोपित किया जाएगा
रिष्टि / शरारत / कुचेष्टा
रिष्टि शब्द की उत्पत्ति एक लीगल मैक्सिमम से मानी जाती है
लैटिन “sic utere tuo ut alienum non leadas.”
अर्थ आप अपनी सम्पत्ति के अधिकार का इस तरह प्रयोग करें जिससे किसी अन्य की सम्पत्ति या अधिकार को नुकसान /क्षति ना पहुँचे
भारतीय दंड संहिता की धारा 425 रिष्टि से संबंधित है जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करना ही नहीं अपितु उसको क्षति पहुंचाना भी एक अपराध है
उपरोक्त समस्या में प ने जानबूझकर क के खेत में मवेशी (गाय भैंस ) का प्रवेश किया उसका आशय था और वे जानता था कि इससे क की फसल को नुकसान होगा अतः इस समस्या में धारा 425 की सारी शर्तें पूरी होती हैं स्पष्ट है कि प ने भारतीय दंड संहिता की धारा 425 के अंतर्गत रिष्टि का अपराध किया है
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 425 रिष्टि जो कोई इस आशय से यह संभाव्य जानते हुए कि वे लोक या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करें, किसी व्यक्ति का नाश या उस संपत्ति या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली बदलाव करता है जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या क्रम हो जाए उस पर जिससे यह उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या क्रम हो जाए या उससे संपत्ति पर क्षतिकारक प्रभाव पड़े तो यह माना जाएगा कि वह रिष्टि का करता है
स्पष्टीकरण :1. संपत्ति आपकी हो चाहे दूसरे की इतनी ही काफी है कि संपत्ति को नष्ट किया गया है
2.संयुक्त रूप से संपत्ति को नुकसान
धारा 425 रिष्टि. अवयव
रिष्टि :- लोक या व्यक्ति को
मेंस रिया :- जानबूझकर या आशय से सदोष हानि/ नुकसान
संपत्ति का :- नाश /तब्दीली /संपत्ति में परिवर्तन
परिणाम :- मूल्य / उपयोगिता – नष्ट / क्रम
नोट :- रिष्टि के मामले में जरूरी नहीं कि रिष्टि करने वाले को कोई लाभ हो इतना ही काफी है कि उसने जानबूझकर किसी को क्षति करने के उद्देश्य से संपत्ति का नाश किया है
रिष्टि संपत्ति विरुद्ध अपराध है व्यक्ति के संबंध में नहीं की जा सकती
संपत्ति :- चल/अचल हो सकती है
लापरवाही दुर्घटनावश कार्य रिष्टि नहीं माना जाएगा
मुख्य वाद नगेंद्र नाथ राय बनाम विजय कुमार दास वर्मा 1992 क्रिमिनल.लॉ. ज. 1871 उड़ीसा
इस वाद में यह धारित किया गया कि मात्र उपेक्षा रिष्टि नहीं कहलाती परंतु सदोष हानि / नुकसान के आशय से उपेक्षा रिष्टि का अपराध बनता है
गुलाम अहिजा बनाम लूटफुल हुदा ए.आई.आर 1955 कोलकाता 558 यह अभिनिर्धारित हुआ कि किसी दूसरे की जमीन से मिटटी हटाना रिष्टि का अपराध है क्योंकि इसे भूस्वामी मिट्टी से वंचित हो जाता है और भूमि की कीमत कम हो जाती है
कृष्णा गोपाल सिंह एंड अन्य बनाम बनाम यूपी 1999 जब किसी ने दबाव में आकर कोई कार्य किया तो रिष्टि lअपराध नहीं माना जाएगा
धारा 426 जो कोई रिष्टि करेगा, वह तीनों में से किसी भांति के कारावास से दंडित किया जाएगा
1.3 माह का कारावास
2.या जुर्माना
3.या दोनों से