अपने ही सामान की चोरी – एडवोकेट मीनू चौधरी
न्यायिक सेवा मुख्य परीक्षा टेस्ट सीरीज टेस्ट 7, एडवोकेट मीनू चौधरी जुडीशल अस्पिरेट्स के द्वारा लिखा हुआ उत्तर पढ़ें और कमेंट करें
{अपने ही सामान की चोरी }
प्रश्न 2. क्या कोई व्यक्ति अपने ही सामान की चोरी कर सकता है? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए
उत्तर :- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 378 से 382 तक अध्याय 17 के अंतर्गत चोरी से संबंधित आवश्यक प्रावधान उल्लिखित हैं
अपनी ही संपत्ति की चोरी – कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की चोरी तब करता है जब वह अपनी संपत्ति को दूसरे से बेईमानी पूर्ण आशय से ले लेता है
धारा 378 का दृष्टांत ञ और ट और अभिव्यक्त करता है
(ञ) यदि उस घड़ी की मरम्मत के संबंध में प को क से धन शोध्य हैं और यदि प उस घड़ी को उस ऋण की प्रतिभूति के रूप में विधि पूर्णक रखता है और क उस घड़ी को प के कब्जे से इस आशय से ले लेता है कि या तो उसने ऋण की प्रतिभूति रूप उस संपत्ति से वंचित कर दे तो उसने चोरी की है
(ट) यदि क अपनी घड़ी य के पास पण्यम करने के बाद ही घड़ी के बदले लिए गए ऋण को चुकाये बिना उसे प की की सम्मिति के बिना ले लेता है तो उसने चोरी की है
महत्वपूर्ण वाद :- शेख हुसैन ए.आई.आर 1887 वाद के अनुसार अभियुक्त को इस आधार पर बरी नहीं किया जा सकता है कि सद्भावना एवं इमानदारी से यह विश्वास किया था कि उसे वस्तु लेने का अधिकार है अभियुक्त ने अपना बंडल जो पुलिस के सिपाही की अभिरक्षा में ले लिया था ये निर्मित हुआ कि अभियुक्त चोरी का दोषी था क्यूंकि संपत्ति सिपाही की विधि पूर्ण अभिरक्षा में थी
रामा ए.आई.आर 1956 राजस्थान वाद अनुसार अभियुक्त के जानवरों की कुड़की हो गई थी जब कुड़की हुई जानवरों को लेया जा रहे था अभियुक्त जानवरों को अपने घर ले आया ले आया निर्णित हुआ कि अभियुक्त चोरी का दोषी था
उदाहरण :- अ को ब का छाता चुराने के अभियोग में विचारित किया जा रहा था अ अपने बचाव में कहा कि छाता ले जाते समय वे नशे में था भूल से समझ बैठा उसका है इस प्रकरण में अ को मिथ्या विश्वास नशे के प्रभाव में था स्वेच्छा नशे का तर्क उन अपराधों के मामलों में प्रूस्तुत जिन्हें पूर्ण करने के लिए अपेक्षित आशय कि आवश्यकता होती है आ का आशय बेईमानी पूर्ण नहीं था अतः चोरी के लिए दोषी नहीं होगा
ऐन अन्य प्रकरण में अ चोरी करने के आशय से ब को प्रेरित करता है कि वह स की संपत्ति को उसके कब्जे से उठा ले जाए वह ब को विश्वास दिलाता है कि वह संपत्ति उसकी अपनी है ब सद्भावना में यह विश्वास करते हुए की संपत्ति अ की है स के कब्जे में से उठा ले जाता है इस धारा में वर्णित अपराध का दोषी नहीं होगा परंतु अ चोरी के दुष्प्रेरण के लिए दण्डनिये होगा
चोरी का दंड धारा 379 के अनुसार जो कोई चोरी करेगा वे 3 वर्ष के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा