ट्रेडमार्क का पंजीकरण और अतिलंघन
ट्रेडमार्क का पंजीकरण और अतिलंघन
HAMNA
NEW DELHI :-जब कोई व्यापारी अपने माल पर कोई ऐसा निशान या चिन्ह लगाता है जिससे यह प्रकट होता है कि अमुक चिन्हें वाला माल अमुक व्यक्ति का है तो वह उसका व्यापार जिन्हें माना जाता है
- लॉर्ड बेस्टबरी के अनुसार,
व्यापार चिन्हें ऐसा निशान है जिसमें सामान्य में कोई चित्र लेबल या शब्द या शब्दों का समूह शामिल है जो किसी व्यापारी के माल के लिए प्रयुक्त या माल के साथ संलग्न होता है ताकि उसका माल दूसरे व्यापारी के ऐसे ही माल से सुभिन्नता प्रकट करने में तथा पहचानने में ऐसा लगे कि यह माल उसका अपना निजी या उसके उत्तराधिकारियों का माल है जो उसने अपने व्यापार में उत्पादित किया है या बिक्री हेतु पेश किया जाता है,
- लॉर्ड जस्टिस जेम्स के अनुसार,
जब कोई व्यक्ति अपने सामान को दूसरे व्यक्ति के समान के रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकता है - व्यापार अधिनियम 1999 की धारा 2(zb) के अनुसार,
व्यापार चिन्हें से तात्पर्य ऐसे चिन्हें से होता है जो रेखा चिन्ह रुपित करता है
रेडिफ़ कम्युनिकेशन लिमिटेड बनाम सेनरबोथ ए.आई.आर 2000 Bom.27 (a) में यह मत व्यक्त किया गया कि इंटरनेट डोमेन नाम भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं तथा यह निकाय संपत्ति हैं अतः ट्रेडमार्क की तरह इसकी भी सुरक्षा करनी चाहिए इंटरनेट पर जो सेवाएं प्रदान की जाती है उनका भी काफी महत्व होता है
व्यापार चिन्हें के कार्य
- व्यापार चिन्हें से माल के स्रोत का ज्ञान होता है इससे प्रोजेक्ट की पहचान होती है
- व्यापार चिन्हें से माल की गुणवत्ता का पता चलता है
- व्यापार चिन्हें माल का विज्ञापन को करता है व्यापार चिन्हें उस प्रोजेक्ट को प्रदर्शित करता है जिस अमुक व्यक्ति का व्यापार चिन्हें है
व्यापार चिन्हें के पंजीकरण की प्रक्रिया
व्यापार चिन्हें के पंजीकरण संबंधी प्रक्रिया, व्यापार चिन्हें अधिनियम 1999 की धारा 18 से 30 तक में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत निम्न प्रकार हैं
- धारा 18 के अंतर्गत,
यह धारा यह निर्धारित करती है कि प्रार्थना पत्र किस ढंग से पेश करना है - धारा 18(1) के अंतर्गत,
कोई व्यक्ति पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा जो व्यापार चिन्हें वह लेना चाहता है - धारा 18(2) के अंतर्गत,
एक कंपनी को विभिन्न प्रकार के माल के लिए एक ही व्यापार जिन्हें का पंजीकरण होगा - धारा 18(3) के अनुसार,
किसी व्यक्ति के एक से अधिक व्यापार स्थल है तो व्यापार स्थल वाले रजिस्टार के पास व्यापार चिन्हें पंजीकृत कराना होगा, - धारा 18 (4)अनुसार,
रजिस्टार प्रार्थी के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर सकता है यदि सारी औपचरिकताओं को पूरा कर दिया गया है, - धारा 18 (5)के अनुसार,
रजिस्टार प्रार्थना पत्र को अास्वीकार कर सकता है यदि प्रार्थना पत्र को निर्धारित ढंग से पेश नहीं किया गया है साथ ही रजिस्ट्रार को कारण बताने होंगे कि किस आधार पर प्रार्थना पत्र को अस्वीकार किया गया है - धारा 19 के अनुसार,
प्रार्थना पत्र स्वीकार किया गया है उस प्रार्थना पत्र की वापसी प्रार्थी के द्वारा की जाएगी - धारा 20(1)के अनुसार,
प्रार्थना पत्र का विज्ञापन समाचार पत्र में किया जाएगा - धारा 21(1)के अनुसार,
यह धारा प्रतिवादी को पंजीकरण का विरोध करने का अधिकार देती है
यदि कोई व्यक्ति रजिस्ट्रेशन के विरोध की सूचना देता है तो वह इसकी सूचना फॉर्म TM-51 में दे सकता है - धारा 21(2)के अनुसार,
इस धारा में रजिस्टार के द्वारा पंजीकरण के विरोध की सूचना देना आवेदक को देना आवश्यक है - धारा 21(3) के अनुसार,रजिस्टार के द्वारा विरोधी पक्ष को साक्ष्य देना जो आवेदक के द्वारा दिए गए हैं
- धारा 21(4) के अनुसार,
दोनों पक्षों को रजिस्ट्रार के द्वारा सुनवाई का मौका दिया जाता है, - धारा 21(5)के अनुसार,
रजिस्ट्रार दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय करेगा कि व्यापार चिन्हें के प्रयोग करने का अधिकार किसको है, - धारा 21(6)के अनुसार,
यदि आपत्ति गलत साबित होती है तो क्षतिपूर्ति विरोधी पक्ष के द्वारा दी जाएगी, - धारा 21(7) के अनुसार,
यदि रजिस्ट्रार चाहे तो विरोधी पक्ष के विवरण में फेरबदल करवा सकता है, - धारा 22 के अनुसार,
रजिस्ट्रार प्रार्थना पत्र के शुद्धिकरण एवं संशोधन की अनुमति प्रदान कर सकता है - धारा 23(1) के अनुसार,
इस धारा में व्यापार का पंजीकरण पूर्ण होता है - धारा 23(2) के अनुसार,
रजिस्ट्रार आवेदक का पंजीकरण करने के बाद एक प्रमाण पत्र देगा जिस पर ट्रेडमार्क रजिस्ट्री की मुहर लगी होगी - धारा 23(3) के अनुसार,
- आवेदक के ट्रेडमार्क के प्रार्थना पत्र में कोई कमी रह जाती है तो कमी को 12 माह के अंदर पूरा नहीं करता है तो प्रार्थना पत्र को छोड़ा हुआ माना जाएगा
- धारा 23(4) के अनुसार,
रजिस्ट्रार पंजीकरण के प्रमाण पत्र में गलती होने पर प्रत्यक्ष भूल को दूर करने के लिए शुद्धिकरण की अनुमति दे सकता है
व्यापार चिन्हें का प्रभाव,
- व्यापार चिन्हें का पंजीकरण हो जाने के बाद आवेदक उसका स्वामी हो जाता है और उसको प्रयोग करने का एकाधिकार प्राप्त हो जाता है
- पंजीकरण स्वामी अपने व्यापार जिन्हें का उल्लंघन होने पर निषेधाज्ञा का दावा पेश कर सकता है, चिन्हें का स्वामी प्रतिवादी से क्षतिपूर्ति वसूल कर सकता है
- धारा 27 के अनुसार,
व्यापार चिन्हें का उलंघन का वाद वोही व्यक्ति ला सकता है जिस का व्यापार चिन्हें में पंजीकृत हुआ है - व्यापार चिन्हें का उल्लंघन का अर्थ यह है कि इसके सामान अथवा मिलता जुलता ऐसा चिन्हें बनाना जिससे ग्राहकों को यह भम्र हो कि यह माल उसी संस्थान का है बनाया गया है जो इस प्रकार के व्यापार चिन्हें का स्वामी है
व्यापार चिन्हें के उल्लंघन के आवश्यक तत्व,
- यह है कि व्यापार चिन्हें असली या अर्थात उसे किसी अन्य व्यक्ति के व्यापार चिन्हें से नकल नहीं किया गया था
- यह है कि जिस माल पर व्यापार चिन्हें प्रयोग किया गया था वह बिक्री की दशा में थी
व्यापार चिन्हे के उल्लंघन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण वाद निम्नलिखित हैं
- उपेंद्र ब्रह्मचारी बनाम यूनियन ड्रग कंपनी लिमिटेड 1926 कोलकाता 837
- करतार सिंह बनाम रामेश्वरी केला ए.आई.आर 1995 दिल्ली
- एस.डी.एल लिमिटेड बनाम हिमालया ड्रग कंपनी ए.आई.आर 1998 दिल्ली 126
- रूपा एंड कंपनी कंपनी ए.आई.आर 1998 दिल्ली 126
- किशोर जर्दा फैक्ट्री बनाम जे.पी. तंबाकू हाउस ए.आई.आर 1998 mad247
वादी को उपलब्ध अधिकार
- प्रतिवादी के विरुद्ध न्यायालय द्वारा निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकता है इसमें उसे यह सिद्ध करना चाहिए कि व्यापार चिन्हे के इस उल्लंघन से जनता को भ्रम में पड़ने की आशंका है
- वादी निषेधाज्ञा के अतिरिक्त हर्जाने का दावा भी ला सकता है यह हर्जाना उसकी हानिपूर्ति के लिए होगा जो इस दुष्कृति द्वारा वादी को उठानी पड़ी है अथवा उस लाभ के लिए जो प्रतिवादी ने इस अनुचित कार्य द्वारा प्राप्त किया है
प्रतिवादी को उपलब्ध बचाव,
- वादी को इस व्यापार जिन्हें का कोई अधिकार नहीं है
- प्रतिवादी को भी इस चिन्ह के प्रयोग का सह अधिकार प्राप्त है
- व्यापार चीजें का पंजीकरण नहीं हुआ है
- वास्तव में अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है
- वादी आपत्ति करने के अधिकार से वंचित हो गया है
- कथित कार्य में वादी की सहमति थी