किन परिस्थितियों मे ‘ किसी व्यक्ति से परिशति कायम रखने तथा सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग की जा सकती है ? प्रक्रिया बताइये ?
New Delhi :- एडवोकेट हिमानी शर्मा ( दिल्ली )द्वारा भारतीय न्यायिक सेवा में अनेक बार पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिखा गया है आप इससे बेहतर भी लिख सकते हैं यह आपके लिये रामबाण साबित होगा |
प्रश्न :- किन परिस्थितियों मे ‘ किसी व्यक्ति से परिशति कायम रखने तथा सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग की जा सकती है ? प्रक्रिया बताइये ?
उत्तर :- दंड. प्रकिया संहिता अध्याय 8 , की धारा 106- 110 तक ऐसी परिस्थितियों का वर्णन किया गया है जिसमें किसी व्यक्ति से परिशत्ति कायम रखने तथा सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग की जा सकती है ,
धारा 106 दोषसिद्धि पर परिशान्ति कायम रखने के लिए प्रतिभूति
(1)जब सेशन न्यायालय या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट का न्यायालय किसी व्यक्ति को उपधारा ( 2 ) में विनिर्दिष्ट अपराध ( विधि विरुद्ध जमाव, बलावा करना, आपराधिक अभियात्र ) के लिए दोषसिद्ध ठहराता है , तो वह उसी समय दण्डादेश देते समय उस व्यक्ति से परिशत्ति कायम रखने के लिए , प्रतिभू सहित , रहित , बन्धपत्र निष्पादित करने का आदेश दे सकता है । यदि ऐसा किया जाना न्यायालय आवश्यक समझता है । ऐसा बंधपत्र तीन वर्ष की अनधिक की अवधि के लिये लिया जा सकता है,
उपधारा (3) के अनुसार यदि दोषसिद्धि अपील पर या अन्यथा अपास्त कर दी जाती है तो वह बंधपत्र शून्य हो जाएगा
(4) इस धारा के अधीने आदेश अपील न्यायालय या पुनरीक्षण न्यायालय द्वारा भी किया जा सकता है ।
मधु बनाम एस . .डी.एम मुंगेर A.I.R. 1971 SC के वाद में अवधारित किया गया कि धारा 106 के अधीन परिशांति कायम रखने के लिए बन्धपत्र निष्पादन की बाध्यता दण्डादेश देते समय ही किया जा सकता है ।
धारा 107 अन्य दशाओं में परिशान्ति कायम रखने के लिए प्रतिभूति
( 1 ) जब किसी कार्यपालक मजि ० को सूचना मिलती है कि सम्भाव्य है कि कोई व्यक्ति परिशन्ति भंग करेगा का लोक प्रशन्ति विक्षुब्ध करेगा था ऐसा सदोष कार्य करा तो वह ऐसे व्यक्ति से – 1 वर्ष से अनधिक की अवधि 13 लिए परिशन्ति कायम रखने के लिए प्रतिति की माँग कर सकता है ।
( २ ) इस धारा के अधीन कार्यपालक मजि ० के समक्ष कार्यवाही की जाएंगी जिसी स्थानीय अधिकारित में ऐसा स्थान / व्यक्ति हो – जहां परिशान्त भंग या विक्षुब्ध होने की सम्भावना है ।
NOTE धारा 109 के अन्तर्गत द्वारा लिए धारा दण्डनीय संज्ञेय अपराध कर रहा है तो सदाचार बनाए प्रतिभू सहित , रहित
सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग
{108 – 110}
धारा 108 के अंतर्गत राजद्रोहात्मक बातों को फैलाने वाले व्यक्ति से कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा सदाचार बनाए रखने के लिए 1 वर्ष से अनधिक की अवधि के प्रतिभूति की मांग की जा सकती है ,
नोट :- 108 के अधीन ऐसे व्यक्ति से प्रतिभूति की मांग की जाएगी जो की धारा 124A 153A , 153B , 295A , 292 , के अधीन दण्डनिये अपराध करता है ,
संदिग्ध व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति जब किसी कार्यपालक मजि. को यह सूचना मिलती है कि उसके स्थानीय क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत कोई व्यकि संज्ञाये अपराध करने के आशय से अपनी उपस्थित छिपाने का प्रयास कर रहा है तो माजि ० ऐसे व्यक्ति को एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिये सदाचार बनाये रखने को प्रतिभू सहित /रहित बन्धपत्र निष्पादित करने का आदेश दे सकता है
धारा 110 , आभ्यासिक अपराधियो से सदाचार के लिए प्रतिभूति
110 कार्यपालक मजि ० सूचना मिलने पर अपनी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए 3 वर्ष से अनधिक अवधि के लिए प्रतिभूओं सहित बन्धपत्र निष्पादित करने का आदेश दे सकता है ।
वह ऐसा आभ्यासिक अपराधी है जो –
(1) अभ्यासत : लुटेरा , ग्रहभेदक , चोर , कूटरचयिता है
(2) चुराई हुई सम्पत्ति का अभ्यातः प्रायक है
(3)अभ्यासत : चोरो को पनाह ( संश्रय ) देता है
(4) व्यपहरण , अपहरण , उद्दापन , छल या शिष्ट से दण्डनीय देता है भा.द.स. अध्याय 12 में तथा 489A 489B 489C 489D से दण्डनिये अपराध दुष्प्रेण करती है .
(5) अभ्यास्त परिशंति भंग करने वाला है
( 6 ) निम्न अधि. के अंतर्गत कोई अपराध /उसका प्रयत्न / दुष्प्रेण अभ्यास्त करता है
– अधिनियम व प्रशाधन सामग्री अधि. , विदेशी मुद्रा वि . अधि ० , कर्मचारी भवि . निधि अधि खाद अपमिश्रण निवारण अधि . , आवश्यक वस्तु अधि., अस्पृश्यता अपराध अधि., सीमा – शुल्क अधि., विदेशियो विषयक अधि., जमाखोरी , मुनाफाकोरी खद्य औषधि अपमिश्रण | भ्रष्टाचार निवारण विधि के अधीन दण्डनीय अपराध है
(7) दुस्साहयिक , भयंकर है जिसकी प्रतिभूति लिए बिना रहना समाज के लिए हानिकारक है ।
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